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सन्दीप दीक्षित जी के ‘सड़क का गुंडा’ वाले बयान पर बहुत ज्यादा बुरा मानने की जरूरत नही है; दरअसल ऐसे लोग ऐसे ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। वैसे राजनैतिक बेरोजगारी की हालत में मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाना बहुत सहज-स्वाभाविक है। ऐसे में सहानुभूति जरूरी है न कि डांट-डपट. हमारे सेनाध्यक्ष जी तो शेरे-हिन्द है,उन पर इसका क्या फरक पड़ेगा, सो कोई कुछ भी बके. लेकिन इधर इस मीडियाटिक हो-हल्ले में बीजेपी ने एक नयी व बेतुकी मांग रख दी है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण बयान के लिए श्रीमती सोनिया गांधी माफ़ी मांगे. ये बहुत ही अफ़सोसनाक है. इससे तो उल्टा क्राइम बढ़ेगा. होशियार नेता इसका फ़ायदा उठाते हुए ताबड़तोड़ बयान देंगे क्योंकि उन्हें इसके लिये कौनसी माफ़ी मांगनी है; माफ़ी मांगने वाला डिपार्टमेंट तो पार्टी प्रमुख के पास रहेगा, सो वो जाने. इसलिए ये गलत है…अब ऐसे तो सोनिया जी का पूरा कार्यकाल माफी मांगते ही बीतेगा. वैसे ये फार्मूला सब पर लागू होगा. ये तो वही हुई कि अमरसिंह की गुस्सा चाचा शिवपाल पर उतार दी जाय. इसलिए ऐसी किसी भी मांग को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाय ताकि पार्टी प्रमुख माफी मांगने के अलावा भी कुछ कर सके……
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